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Unseen (IX)

 

😏अपठित गद्यांशम्😉



ध्यातव्यः बिन्दवः

अपठितका अर्थ होता है- जिसे पहले नहीं पढ़ा गया हो। अपठित गद्यांश का स्तर अत्यधिक सरल व सुबोध होता है। विद्यार्थी गद्यांश को रुचिपूर्वक पढ़ सकते हैं। यदि किसी घटना, कहानी, यात्रा-वृत्तान्त अथवा जीवनी का वर्णन किया गया हो, तो छात्र उसे पहले अच्छी तरह से पढ़ लें। आपके द्वारा पढ़ने से ही बहुत से प्रश्नों के उत्तर स्वतः ही समझ में आने लगते हैं।

 

ü  गद्यांश को ध्यानपूर्वक दो-तीन बार पढ़ें, ताकि समझ में आ जाए कि उसमें क्या कहा गया है।

ü  सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तर गद्यांश से ढूंढें।

ü  इस बात का ध्यान रखें कि प्रश्न का उत्तर गद्यांश से ही दें।

ü  एकपदेन उत्तरत के उत्तर एक शब्द में दें तथा पूर्णवाक्येन उत्तरत के उत्तर पूरे वाक्य में दें।

ü  भाषिककार्यम् के प्रश्नों के अन्तर्गत सही उत्तर चुनने में अपठित गद्यांश की सहायता ली जानी चाहिए।

ü  शीर्षक का चुनाव करते समय यह ध्यान रखें कि शीर्षक का सम्बन्ध पूरे गद्यांश से ही हो।

 

विशेष-

               Ø ‘भाषिककार्यम् के प्रश्नों के अन्तर्गतः-

      Ø कर्तृ (कर्ता) से सम्बन्धित प्रश्न पूछा जाता है।

      Ø क्रिया से सम्बन्धित प्रश्न पूछा जाता है।

      Ø विशेषण से सम्बन्धित प्रश्न पूछा जाता है।

        Ø विशेष्य से सम्बन्धित प्रश्न पूछा जाता है।

        Ø विलोम शब्द से सम्बन्धित प्रश्न पूछा जाता है।

        Ø पर्यायवाची से सम्बन्धित प्रश्न पूछा जाता है।

 

शीर्षक लेखनम् के प्रश्नों के अन्तर्गतः-

बच्चों, इस प्रश्न का उत्तर लिखते समय इन बातों का ध्यान रखना चाहिए कि-

    • ·         शीर्षक गद्यांश से ही हो।
    • ·         शीर्षक गद्यांश का सारयुक्त हो।
    • ·         शीर्षक छोटा हो ताकि उसमें व्याकरणात्मक त्रुटि ना हो।

 

 

अपठित गद्यांशम्

मम प्रियं पुस्तकं रामायणम् अस्ति। अस्मिन् ग्रन्थे मर्यादापुरुषोत्तमस्य श्रीरामस्य जीवनवृत्तं वर्तते। अस्य लेखकः महर्षिः वाल्मीकिः आसीत्। सः आदिकविः आसीत् अतः तस्य रचनां ‘आदिकाव्यम्’ इति कृत्वा विद्वांसः स्मरन्ति। एतत् काव्यम् अनुष्टुप्-छन्दसि निबद्धम्। अत्र श्लोकानां संख्या चतुर्विंशति-साहंस्री वर्तते, तेन रामायणं ‘चतुर्विंशति-साहस्री संहिता’ इति नाम्ना अपि विद्वद्भिः स्मर्यते। इदं कविना नारदमुनेः प्रेरणया ब्रह्मणः वचनेन च रचितम्।

 

एकपदेन उत्तरत-

इस प्रश्न के लिए गद्यांश में तीन प्रश्न दिए जाते हैं, लेकिन विद्यार्थियों को दो प्रश्नों के ही उत्तर देने होते हैं।

प्र.1.  रामायणे कस्य महापुरुषस्य जीवनवृत्तं वर्तते?

उत्तरम् -  श्रीरामस्य

प्र.2.  इदं कविना कस्य प्रेरणया रचितम्?

उत्तरम् -  नारदमुनेः

 

पूर्णवाक्येन उत्तरत-

इस प्रश्न के लिए भी गद्यांश में तीन प्रश्न दिए जाते हैं, लेकिन विद्यार्थियों को दो प्रश्नों के ही उत्तर देने होते हैं।

        प्र.1.  रामायणे कस्य महापुरुषस्य जीवनवृत्तं वर्तते?

                उत्तरम् -  श्रीरामस्य

        प्र.2.  इदं कविना कस्य प्रेरणया रचितम्?

                उत्तरम् -  नारदमुनेः

 

शीर्षक लेखनम्-

इस प्रश्न के लिए गद्यांश में एक प्रश्न दिया जाता है, विद्यार्थियों को इसका उत्तर देना होता है।

    प्र.1.  अस्य अनुच्छेदस्य कृते उपयुक्तं शीर्षकं संस्कृतेन लिखत।

                उत्तरम् -  रामायणम् / आदिकविः / चतुर्विंशति-साहस्री

 

यथानिर्देशम् उत्तरत-

यह प्रश्न बहुविकल्पकात्मक होता है। इस प्रश्न के लिए गद्यांश में चार प्रश्न दिए जाते हैं, लेकिन विद्यार्थियों

को तीन प्रश्नों के ही उत्तर देने होते हैं।

        प्र.1. ‘रचितम्’ इति क्रियापदस्य कर्तृपदं किम्?

                    (क) रामायणम्            (ख) विद्वांसः   (ग) श्रीरामः (घ) कविना

 

        प्र.2. ‘विद्वांसः’ अस्य कर्तृपदस्य क्रियापदं किम्?

                    (क) अस्ति        (ख) वर्तन्ते      (ग) मन्यन्ते   (घ) स्मरन्ति

 

        प्र.3. ‘महर्षिः’ इति पदस्य अनुच्छेदे विशेष्यः कः?

                    (क) वाल्मीकिः             (ख) लेखकः   (ग) कविना   (घ) प्रियम्

 

        प्र.4. ‘मूर्खाः’ इति पदस्य कः विपर्ययः अनुच्छेदे प्रयुक्तः?

                    (क) पुस्तकम्     (ख) कविः       (ग) रामायणम्         (घ) विद्वांसः

 

 

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