चित्रवर्णनम्
1)
प्रश्न पत्र के ‘खण्ड – ख’ में यह प्रश्न आता है।
2)
इस प्रश्न के लिए प्रश्न ‘संख्या 03’ निर्धारित है।
3)
इस प्रश्न के लिए कुल ‘पाँच अंक’ निर्धारित हैं।
4)
इस प्रश्न में पाँच सरल वाक्य
संस्कृत में बनाने होते हैं।
5)
इस आधार पर प्रत्येक वाक्य ‘एक’ अंक का निर्धारित है।
ध्यान रखने योग्य प्रमुख बातें
ü सर्वप्रथम
आपको चित्र को ध्यान से देखना है और उस चित्र के वर्णन के लिए सोचना है।
ü जैसे
कि चित्र किसका है, चित्र में क्या-क्या हो रहा है,
किस प्रकार के लोग हैं, कैसा वातावरण है? इत्यादि।
ü तत्पश्चात्
मञ्जूषा में दिए गए शब्दों को ध्यान से पढ़ना चाहिए और उनका अर्थ निकालने का
प्रयास करना चाहिए।
ü शब्दों
के अर्थ समझने के बाद सरल तथा छोटे वाक्य बनाने चाहिए, जिससे व्याकरणात्मक त्रुटि न हो।
विशेषः-
1)
चित्र वर्णन में वाक्य केवल
लट्लकार (वर्तमानकाल) में ही बनाने चाहिए।
2)
चित्र वर्णन में आपको एक वाक्य ऐसा
बनाना है जिसमें यह बताया गया हो कि दिया हुआ चित्र किसका है?
3)
चित्र में आपको ऐसा कोई भी वाक्य
नहीं बनाना है- “चित्र
सुन्दर है।” (इदं
चित्रम् सुन्दरम् अस्ति)।
4)
वाक्य अधिक बड़े नहीं होने चाहिए।
5)
वाक्यों का परस्पर सम्बन्ध होना
चाहिए।
6) वाक्य बनाते समय कर्ता, क्रिया का समुचित रूप से ध्यान रखना चाहिए।
7) यह आवश्यक नहीं है कि दी
गई मञ्जूषा के शब्दों का आप प्रयोग करें।
8) आप चाहे तों अपने
वाक्यों में आवश्यकतानुसार मञ्जूषा में दिए गए शब्दों में व्याकरणात्मक परिवर्तन
कर सकतें हैं। जैसे- वचन, पुरुष, विभक्ति
इत्यादि।
बच्चों, चित्र-वर्णन में सरल, लघु वाक्य पूर्ति अपेक्षित
होती है। केवल वाक्य की शुद्धता देखी जाती है। इस प्रश्न का प्रमुख उद्देश्य वाक्य
रचना है। वाक्य शुद्ध हों ज्यादा महत्वपूर्ण यह है। प्रत्येक वाक्य के लिए ½
अंक, और भाव के लिए ½ अंक
(व्याकरण की शुद्धता के लिए) होता है। मञ्जूषा में दिए गए शब्द सहायतार्थ हैं।
मञ्जूषा में अनेक शब्द दिए जाते हैं। इसमें से आप शब्द का चयन करें अथवा नहीं यह
आप पर निर्भर करता है।
मञ्जूषा
ग्रामस्य, चित्रम्, शुष्कवृक्षम् वातावरणम्, सर्वत्र, शुष्ककूपः, महिला, दुःखिता,
घटद्वयम्, नयति, जलपूर्णम्, अङ्के, बालकः, वर्तते।
0 टिप्पणियाँ